तुम्हारा दंभ, उम्र भर अपने खंडित टुकड़े बीनता रहता है। तुम्हारा दंभ, उम्र भर अपने खंडित टुकड़े बीनता रहता है।
यह कविता हर स्त्री की व्यथा है यह कविता हर स्त्री की व्यथा है
जब पुरुष हूँ, स्त्री पे रोब दिखाता हूँ। और जब मालिक, नौकर पे धौंस जमाता हूँ। जब पुरुष हूँ, स्त्री पे रोब दिखाता हूँ। और जब मालिक, नौकर पे धौंस जमाता...
अवांछनीय पदार्थों को नहीं तुझ में मिलने दूंगा हाँ माँ सदा तेरी रक्षा करूँगा। अवांछनीय पदार्थों को नहीं तुझ में मिलने दूंगा हाँ माँ सदा तेरी रक्षा करूँगा।
करवट देखो समय ले चुका, मतलब के सब बंदे है त्याग भावना दफन हो गई , लगे मोह के फंदे है । करवट देखो समय ले चुका, मतलब के सब बंदे है त्याग भावना दफन हो गई , लगे म...